ॐ
किसी व्यक्ति को एक नूतन और श्रेष्ठतर भाव मिला, तो वह अपने पुराने भावों के प्रति यह निर्णय कर लेता है कि वे सब अनावश्यक तथा हानिकारक थे। वह यह कभी नहीं सोचता कि उसकी आज की दृष्टि से वे कितने ही निरर्थक क्यों न हों, एक समय वह भी तो था, जब वे ही उसके लिए उपयोगी और उसकी वर्तमान अवस्था तक उसे पहँचाने के लिए आवश्यक थे। तथा हममें से प्रत्येक को उसी प्रकार से आत्म-विकास करना पडेगा, पहले स्थूल भावों को अपनाना होगा, और उनसे लाभान्वित होकर एक उच्चतर मानदण्ड तक पहुँचना होगा। इसलिए अद्वैतवाद प्राचीनतम मतों से मित्र भाव रखता है। द्वैतवाद तथा अपने पूर्वगामी अन्य मतों को अद्वैतवाद एक संरक्षक की दृष्टि से नहीं, वरन् यह मानकर अंगीकार कर लेता है कि वे भी एक ही सत्य की सच्ची अभिव्यक्तियाँ हैं और अद्वैतवाद जिन सिद्धांतों पर पहुँचा है, वे भी उन्हीं सिद्धांतों पर पहुँचाते हैं।
अतएव मनुष्य को जिन सब सीढियों पर चढकर ऊपर जाना है, उनके प्रति कठोर वचन न कहकर उनके अाशीर्वाद देते हुए उनकी रक्षा करनी चाहिए। इसीलिए वेदान्त में इन द्वैतवादी सिद्धान्तों की उचित रक्षा की गयी है, उनका परित्याग नहीं किया गया, और इसीलिए ससीम, व्यक्तितायुक्त, किन्तु फिर भी अपने में पूर्ण आत्मा की परिकल्पना ने वेदान्त में स्थान पाया है।
(VIII, ५३)
अद्वैत वेदान्त का एक बडा लाभ यह है कि यह समस्त दृष्टिकोणों और अभिमतों में समन्वय स्थापित करता है। हमारे प्राचीन ऋषि विकास के सिद्धांत के जानकार (भारतीय दृष्टि में) थे इन्हें स्वीकार कर सकते थे और सत्य की अन्तिम अनुभूति के लिए उन्हें सोपानों के रूप में व्यवस्थित कर सकते थे। स्वामीजी कहते हैं कि बुद्ध के अनुयायियों द्वारा जो गलती की गई थी वह पहले के धार्मिक सिद्धांतों और प्रथाओं को निरर्थक और हानिकारक बताकर पूर्णतया नकारना था। स्वामीजी इसे बहुत गलत दृष्टिकोण बताते हैं। सीमित व्यक्ति निरन्तर असीमित में विकसित हो रहा है और मार्ग में उसे अनेकानेक सोपानों को पार करना पडता है। व्यक्ति को इसे कभी भी विस्मृत नहीं कर देना चाहिए। निम्नतर सत्य से उच्चतर सत्य में, मनुष्य का ऊर्ध्वमुखी विकास व्याप्त है।
--
KATHA : Vivekananda Kendra
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी (Vivekananda Kendra Kanyakumari)
Vivekananda Rock Memorial & Vivekananda Kendra : http://www.vivekanandakendra.org
Read n Get Articles, Magazines, Books @ http://prakashan.vivekanandakendra.org
Landline : Himachal:+91-(0)177-2835-995, Kanyakumari:+91-(0)4652-247-012
Mobile : Kanyakumari:+91-76396-70994, Himachal:+91-94180-36995
Let's work on "Swamiji's Vision - Eknathji's Mission"
Follow Vivekananda Kendra on blog twitter g+ facebook rss delicious youtube Donate Online
KATHA : Vivekananda Kendra
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी (Vivekananda Kendra Kanyakumari)
Vivekananda Rock Memorial & Vivekananda Kendra : http://www.vivekanandakendra.org
Read n Get Articles, Magazines, Books @ http://prakashan.vivekanandakendra.org
Landline : Himachal:+91-(0)177-2835-995, Kanyakumari:+91-(0)4652-247-012
Mobile : Kanyakumari:+91-76396-70994, Himachal:+91-94180-36995
मुक्तसंग्ङोऽनहंवादी धृत्युत्साहसमन्वित:।
सिद्धयसिद्धयोर्निर्विकार: कर्ता सात्त्विक उच्यते ॥१८.२६॥
Freed from attachment, non-egoistic, endowed with courage and enthusiasm and unperturbed by success or failure, the worker is known as a pure (Sattvika) one. Four outstanding and essential qualities of a worker. - Bhagwad Gita : XVIII-26
No comments:
Post a Comment