ॐ
ज्ञान कभी इन्द्रिजन्य ज्ञान नहीं होता। हम ब्रह्म को विषयतया 'जान' नहीं सकते, किन्तु हम पूर्णतया ब्रह्म ही हैं, उसके एक खण्ड मात्र नहीं। अशरीरी वस्तु कभी विभाजित नहीं की जा सकती। आभासी नानात्व काल और देश में दृष्टिगत होने वाला है, जैसा हम सूर्य को लाखों ओस-बिन्दुओं में प्रतिबिम्बित देखते हैं, यद्यपि हम जानते हैं सूर्य एक है, अनेक नहीं। ज्ञान में हमें नानात्व त्यागना होता है और केवल एकत्व का अनुभव करना होता है। यहाँ विषयी, विषय, ज्ञान, ज्ञाता, ज्ञेय, तू, वह अथवा मैं नहीं है, केवल एक पूर्ण एकत्व ही है! हम सदैव वही हैं, सदैव मुक्त। मनुष्य कार्य कारण द्वारा यथार्थत: नहीं बँधा है। दुख और कष्ट मनुष्य में नहीं है, वे तो भागते हुए बादल के समान होते हैं जो सूर्य पर अपनी परछाई डालता है। बादल हट जाता है, पर सूर्य अपरिवर्तित रहता है, और यही बात मनुष्य के विषय में है। यह उत्पन्न नहीं होता, वह मरता नहीं, वह देश और काल में नहीं है। ये सब विचार केवल मन के ही प्रतिबिम्ब हैं, किन्तु हम भ्रमवश उन्हें यथार्थ समझ लेते हैं और इस प्रकार उस महिमान्वित प्रकृत सत्य को जो विचारों से आच्छादित हुआ है, हम नहीं प्राप्त कर सकते। काल तो हमारे चिन्तन की प्रक्रिया है, परन्तु हम तो यथार्थ नित्य वर्तमान काल ही हैं। शुभ और अशुभ का अस्तित्व केवल हमारे सम्बन्ध से है। एक के बिना दूसरा नहीं प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि दोनों में से किसी का भी दूसरे से पृथक् न तो अस्तित्व है और न अर्थ। जब तक हम द्वैतवाद को मान्याता देते हैं अथवा ईश्वर और मनुष्य को पृथक करके मानते हैं, तब तक हमें शुभ और अशुभ-दोनों ही देखने पडेंगे, केवल केवल केन्द्र में जाकर ही, केवल ईश्वर से एकीकृत होकर ही, हम इन्द्रियों के मोह-जाल से बच सकते हैं। जब हम कामना के अनन्त ज्वर को, उस अनन्त तृष्णा को, जो हमें चैन नहीं लेने देती, त्याग देंगे, जब हम सदा के लिए कामना को जीत लेंगे, तब हम शुभ-अशुभ-दोनों से छूट पायेंगे, क्योंकि तब हम उन दोनों का अतिक्रमण कर जायेंगे।
(VI, २७०-२७१)
--
Cell# +91-76396-70994 / 94180-36995
KATHA : Vivekananda Kendra
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी (Vivekananda Kendra Kanyakumari)
Vivekananda Rock Memorial & Vivekananda Kendra : http://www.vivekanandakendra.org
Read n Get Articles, Magazines, Books @ http://prakashan.vivekanandakendra.org
Landline : Himachal:+91-(0)177-2835-995, Kanyakumari:+91-(0)4652-247-012
Mobile : Kanyakumari:+91-76396-70994, Himachal:+91-94180-36995
Let's work on "Swamiji's Vision - Eknathji's Mission"
Follow Vivekananda Kendra on blog twitter g+ facebook rss delicious youtube Donate Online
Cell# +91-76396-70994 / 94180-36995
KATHA : Vivekananda Kendra
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी (Vivekananda Kendra Kanyakumari)
Vivekananda Rock Memorial & Vivekananda Kendra : http://www.vivekanandakendra.org
Read n Get Articles, Magazines, Books @ http://prakashan.vivekanandakendra.org
Landline : Himachal:+91-(0)177-2835-995, Kanyakumari:+91-(0)4652-247-012
Mobile : Kanyakumari:+91-76396-70994, Himachal:+91-94180-36995
मुक्तसंग्ङोऽनहंवादी धृत्युत्साहसमन्वित:।
सिद्धयसिद्धयोर्निर्विकार: कर्ता सात्त्विक उच्यते ॥१८.२६॥
Freed from attachment, non-egoistic, endowed with courage and enthusiasm and unperturbed by success or failure, the worker is known as a pure (Sattvika) one. Four outstanding and essential qualities of a worker. - Bhagwad Gita : XVIII-26
No comments:
Post a Comment