यतो धर्म: ततो जय:
संस्कृति प्रेम
दुर्गापूजा के दिन महाराष्ट्र में शस्त्रपूजन की प्रथा प्रचलित है। इन्हीं दिनों में नागपुर में कॉलेज के छात्रों ने एक मैच का आयोजन कर पुरस्कार वितरण के निमित भगिनी का भाषण सुनने लिए, उनको निमन्त्रित किया।पाश्चात्य खेल को देख कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए निवेदिता ने कहा - ' अपने देश के इस भूभाग ने अन्तिम समय तक स्वातंत्र्य का स्वाद चखा था। महाशक्तिमयी दुर्गा की उपासना का यह दिन है। भोंसले की राजधानी में उनकी अपेक्षा थी उस दिव्य शस्त्र कला के प्रदर्शन को देखने को देखने की, जिसमें एक व्यक्ति, अनेक से, एक साथ लड़कर उन्हें भूमिगत कर सकता था; परन्तु खेल के मैदान में देखने को मिला,विदेशी मदारियों द्वारा नचाये जाने वाले बन्दरों का नाच।
भाषण क्या था, एक प्रतारणा थी। दूसरे दिन वह भूल ठीक की गई।
To Be continue
हमें कर्म की प्रतिष्ठा बढ़ानी होंगी। कर्म देवो भव: यह आज हमारा जीवन-सूत्र बनना चाहिए। - भगिनी निवेदिता {पथ और पाथेय : पृ. क्र.१९ }
Sister Nivedita 150th Birth Anniversary : http://www.sisternivedita.org
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